अब आप बतायें सोच के घटियेपन का इससे घटिया नमूना आप को कहीं मिल सकता है.
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पत्रकारिता का घटिया नमूना. मस्त राम लिखनी शुरू कर दो ज़्यादा पैसा कमाओगे नागर साब बिना गलियाँ खाए
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मीडिया मूल्यांकन के नाम पर साहित्यिक पत्रिकाओं में जिस तरह का दृष्टिकोण परोसा जा रहा है वह मीडिया समीक्षा का घटिया नमूना है।
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नीता अम्बानी जो भी हैं सिर्फ़ मुकेश अम्बानी और रिलायंस की वजह से, प्रियंका गाँधी के बारे में तो सभी जानते हैं कि यदि नाम में “वढेरा” लगाया जाये तो कोई पहचाने भी नहीं… सुप्रिया सुले की एकमात्र योग्यता(?) शरद पवार की बेटी होना और इसी तरह कनिमोझि की योग्यता करुणानिधि की बेटी होना है, अब इन्हें प्रौढ़ शिक्षा का ब्राण्ड एम्बेसेडर बनाने की सिफ़ारिश करना मंत्रालय के अधिकारियों की चमचागिरी का घटिया नमूना नहीं तो और क्या है?
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नीता अम्बानी जो भी हैं सिर्फ़ मुकेश अम्बानी और रिलायंस की वजह से, प्रियंका गाँधी के बारे में तो सभी जानते हैं कि यदि नाम में “वढेरा” लगाया जाये तो कोई पहचाने भी नहीं… सुप्रिया सुले की एकमात्र योग्यता(?) शरद पवार की बेटी होना और इसी तरह कनिमोझि की योग्यता करुणानिधि की बेटी होना है, अब इन्हें प्रौढ़ शिक्षा का ब्राण्ड एम्बेसेडर बनाने की सिफ़ारिश करना मंत्रालय के अधिकारियों की चमचागिरी का घटिया नमूना नहीं तो और क्या है?
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नीता अम्बानी जो भी हैं सिर्फ़ मुकेश अम्बानी और रिलायंस की वजह से, प्रियंका गाँधी के बारे में तो सभी जानते हैं कि यदि नाम में “ वढेरा ” लगाया जाये तो कोई पहचाने भी नहीं … सुप्रिया सुले की एकमात्र योग्यता (?) शरद पवार की बेटी होना और इसी तरह कनिमोझि की योग्यता करुणानिधि की बेटी होना है, अब इन्हें प्रौढ़ शिक्षा का ब्राण्ड एम्बेसेडर बनाने की सिफ़ारिश करना मंत्रालय के अधिकारियों की चमचागिरी का घटिया नमूना नहीं तो और क्या है?